प्रमुख विशेषताएं
- 3,164.5 किलोग्राम वजनी जीसैट-15 उपग्रह को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने तैयार किया है।
- जीसैट-15 को बनाने में लगभग 278 करोड़ रुपए खर्च किए गए और इसके प्रक्षेपण के लिए एरियन प्रक्षेपण यान को लगभग 581 करोड़ रुपए में किराए में लिया गया था।
- जीसैट-15 इनसैट (जीसैट प्रणाली में शामिल किया जाने वाला उच्च क्षमता संपन्न उपग्रह है.
- जीसैट-15 भारत में दूरसंचार सेवाएं तथा समर्पित नौवहन- सहायता व आपात सेवाएं प्रदान करेगा।
- इसमें केयू-बैंड के 24 संचार ट्रांसपोंडर हैं और यह गगन (जीपीएस एडेड जियो ऑग्यूमेंटेड नेविगेशन) पेलोड L1 और L5 बैंड में संचालित हो रहा है.
- इसमें केयू-बैंड वाला प्रकाश स्तंभ भी लगा है, ताकि जमीन पर लगे एंटीना को उपग्रह की ओर सटीक ढंग से संतुलित किया जा सके.
- जीसैट-15 के प्रक्षेपण से इसरो भारतीय उपयोगकर्ताओं के लिए केयू बैंड में सेवाएं प्रदान करना जारी रख पाएगा.
- जीसैट-15 का नेविगेशन पेलोड गगन नागरिक उड्डयन क्षेत्र में जीवन नेविगेशन की सेवाओं की सुरक्षा करेगा.
- भारतीय क्षेत्र में विभिन्न सेवाओं के लिए अन्य स्थल आधारित सेवाएं सुनिश्चित करने में कक्षा में भी यह मदद करेगा.
- इस उपग्रह में लगे ट्रांसपोंडरों की मदद से डीटीएच प्रसारण की गुणवत्ता बढ़ाने में और मदद मिलेगी।
- जीसैट-15 केयू बैंड क्षमता के संवर्धन के साथ साथ स्वदेशी परिचालन उपग्रह क्षमता का प्रतिस्थापन भी मुहैया कराएगा.
- जीसैट-8 और जीसैट-10 के बाद जीसैट-15 ऐसा तीसरा उपग्रह है, जो गगन पेलोड को लेकर गया है. जीसैट-8 और जीसैट-10 पहले से ही कक्षा से नेविगेशन की सेवाएं मुहैया करा रहे हैं.
- दो और संचार उपग्रह जीसैट-17 और जीसैट-18 भी आगामी वर्ष एरियन यान द्वारा प्रक्षेपण के लिए तैयार किए जा रहे हैं.
- जीसैट-15 ऐसा 19वां पेलोड होगा, जिसे एरियानेस्पेस ने इसरो के लिए प्रक्षेपित किया है.
- एरियनस्पेस का 2015 में यह छठा हैवी लिफ्ट मिशन था।
- इस मिशन में एरियनस्पेस ने दो उपग्रहों—अरबसैट-6बी और इसरो के लिए जीसैट -15 का का सफल प्रक्षेपण किया.
- अरबसैट-6बी को सउदी अरब के अरबसैट के साथ एक तैयार समझौते के तहत एयरबस डिफेंस एंड स्पेस और थेल्स एरियान स्पेस के लिए एरियन 5वीए 227 के जरिए प्रक्षेपित किया गया.
अंतरिक्ष में अभी भारत के पास ट्रांसपोंडर्स की कमी है। भारत अभी अपनी एक तिहाई जरुरत ही मौजूदा ट्रांसपोंडर्स से पूरी करता है और शेष के लिए विदेशी एजेंसियों पर निर्भरता है। गैर-समाचार चैनल्स में एफडीआई की सफलता के लिए भारत के पास अपने ट्रांसपोंडर्स होने चाहिए।